Update 15 February

खोरी अपडेट (166)

15-02-2023

जिंदाबाद साथियों !

जैसा कि हमने पिछले अपडेट में आप सभी को बताया था 14-02-2023 को हमारे केस W.P.C 788/2021 की सुनवाई हुई । और इस बार हम ये कह सकते है की सुनवाई काफी अच्छी रही ।

नए न्यायाधीशों – न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल – ने खोरी गाँव के निवासियों के आवास अधिकारों को बरकरार रखा और पुनर्वास की धीमी प्रक्रिया और खराब रहने की स्थिति के लिए एमसीएफ के वकील अरुण भारद्वाज को फटकार लगाई । सुनवाई की शुरुआत मे डबुआ से संबंधित आर्किटेक्ट और सिविल इंजीनियर की रिपोर्ट को पढ़ने से हुई, जिसमें उल्लेख किया गया था कि नियमित पानी की कमी, सुरक्षित बिजली सिस्टम, अच्छी सीवेज सिस्टम, नियमित कचरा निपटान और रखरखाव के बिना, मानव आवास के लिए सिर्फ फ्लैटों के फिटनेस काफी नहीं है।

उसके बाद, न्यायाधीशों ने हमारे वकीलों संजय पारेखजी, सृष्टि और तृप्ति जी द्वारा दायर आई.ए. को पढ़ा। इसमें सोलेसीएम का भुगतान अभी तक नहीं करने, राधा स्वामी में उपसमिति की सुनवाई के बाद कोई लिस्ट जारी नहीं कराने और पुनर्वास से वंचित लोगों के कारणों सहित जिन लोगो के एप्लीकेशन को बिना कारण बताए कैंसल करने जैसे मुद्दों को उठाया।
(नोट: हम जानते हैं कि कई लोगों ने पुनर्वास फॉर्म नहीं भरा है, और हम अदालत से जो कुछ भी प्राप्त करेंगे, उसे देखते हुए जल्द ही उनके लिए एक योजना तैयार करेंगे)।

जजों ने एमसीएफ को 2 मई 2023 तक का समय फिर से दिया है ताकि वह डबुआ में सभी समस्याओं को ठीक करें और एक हलफनामा दायर करें जिसमें यह जानकारी हो कि आज तक कितना सोलैटियम दिया गया है, कितने लोगों को रिजेक्ट किया गया है और उनके कारण क्या हैं। न्यायाधीशों ने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि जब तक डबुआ फ्लैट रहने योग्य नहीं हो जाते, तब तक निवासियों को सोलेशियम राशि 2000 रुपये प्रति माह का मुआवजा दिया जाए । यानी अब तक का भुगतान 20 महीने का कुल सोलेशियम राशि 40000/- होता हैं । इसलिए वे जितनी देर करेंगे, उन्हें उतना ही अधिक भुगतान करते रहना होगा।

न्यायाधीश ने नाराज होकर यह बात भी कह दी कि अगर MCF ने जल्द ही सोलैटियम का भुगतान नहीं किया तो वे सजा के तौर पर राशि बढ़ा देंगे, ।

MCF वकील ने यह भी कहाँ आज भी कई लोगो को सोलेशियम राशि भेजा हैं, और अब तक लगभग 657 लोगो के खाते में पैसे भेजा जा चुका हैं।

अधिवक्ता संजय पारिख जी ने अदालत को याद दिलाया कि एमसीएफ दिए गए समय के दौरान कोई काम नहीं करता है और केवल अंतिम समय (कोर्ट की तारीख के समय) में अपनी प्रतिक्रिया या हलफनामा दाखिल करता है। यह एक ऐसी रणनीति है जिसका वे उपयोग करते हैं ताकि हमें अपनी शिकायत दर्ज करने का समय न मिले।
इसलिए संजय पारिख जी ने न्यायाधीशों से अनुरोध किया कि भले ही अदालत की सुनवाई की तारीख मई में हो, परंतु काम पूरा करने के लिए एमसीएफ को अप्रैल में समय सीमा दी जाए। न्यायाधीश इस पर सहमत हुए, और उन्होंने एमसीएफ को अपना हलफनामा दाखिल करने की समय सीमा के रूप में 17 अप्रैल 2023 का समय दिया है।

यह जानकारी सुनवाई के दौरान हुई चर्चा पर आधारित है । अभी कोर्ट की तरफ से लिखित जानकारी नही आई है । लिखित जानकारी आते ही वह जानकारी भी हम आप तक पहुंचाएंगे ।

हमें मिलकर जमीनी आवाज़ भी इसी तरह मिलकर उठाते रहना होगा ताकि हम इस न्याय की लड़ाई को जीत सके ।

खोरी गांव के साथ और सहयोग में ।

टीम साथी ख़ोरी गाँव