खोरी अपडेट (140)
07-07-2022
जिंदाबाद दोस्तों!
आज 7 जुलाई है। आज से ठीक 13 महीने पहले खोरी गांव की बर्बादी का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया था।
सुप्रीम कोर्ट 13 जुलाई को खुल रहा है। उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट जल्दी ही पीएलपीए यानी जंगल के मुद्दे पर अपना फैसला सुना दे। पीएलपीए जंगल कानून के बारे में जो भी आदेश आएगा उससे खोरी गांव के निवासियों के भविष्य का फैसला जुड़ा है। क्योंकि खोरी गांव की जमीन जंगल जमीन में आती है या नहीं? उसका फैसला पीएलपीए वाले मुकदमे के फैसले के बाद तय होगा।
आपको याद दिला दें कि 31 मार्च को सर्वोच्च न्यायालय में ख़ोरी गांव संबंधी हमारे रेखा, पिंकी व पुष्पा बनाम भारत सरकार वाले मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट के सामने वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख ने लोगों के सामने आने वाली कठोर परिस्थितियों और उनके मानवाधिकारों के उल्लंघन सहित जमीनी स्तर पर हो रही घटनाओं के बारे में अदालत को जानकारी दी थी। उन्होंने तर्क दिया कि जबरन बेदखल किये खोरी निवासियों को समुचित रूप से बसाना जाना समय की मांग है।
अदालत ने आदेश में पारीख जी के उठाए मुद्दे को भी लिखा था की—
“अगर यह माननीय न्यायालय इस बात को माने कि पीएलपीए भूमि वास्तव में वन नहीं है, तो हरियाणा सरकार के झूठे और भ्रामक बयान के आधार पर की गई, ख़ोरी वासियों की बेदखली वापिस करनी होगी।
और पुनर्स्थापन, स्वस्थानी पुनर्वास और उनके संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन के लिए मुआवजा मिलना चाहिए। व्यक्तियों के कानूनी दावों और तर्कों पर विचार करते हुए इंसीटू पुनर्वास निर्धारण करना होगा।
इंतजार है, उम्मीद है, एक अच्छे आदेश की जो 13 महीने से दर-दर भटक रहे लोगों को कुछ राहत दे।
आगे की जानकारी के लिए पढ़ते रहिये, सुनते रहिए ख़ोरी अपडेट।
खोरी गांव के साथ और सहयोग में
टीम साथी