खोरी अपडेट (127)
03-06-2022
जिंदाबाद दोस्तों
इस अपडेट में हम आपको खोरी तोड़ने के आदेश व अदालत में चल रहे मुकदमे की जानकारी देंगे और केस की अभी क्या परिस्थिति है वह भी बताएंगे।
अदालती कार्यवाही क्या चली?
7 जून 2021 को “सरीना सरकार, फुलवा, संजय प्रसाद सिंह, सुभाष सिंह , रूपा देवी बनाम हरियाणा सरकार” वाले केस में खोरी तोड़ने का आदेश आया था।” इस केस में खोरी गांव के बाशिंदो को झुग्गी वाला बताया गया था और उनके लिए पुनर्वास की बात की गई थी। इस बात को नही उठाया गया की यह जमीन पीएलपीए में नही आती। यह केस वरिष्ट वकील कोलिन गोंसाल्विस जी कर रहे है।
एक और केस भी चालू था “नगर निगम फरीदाबाद बनाम खोरी गांव रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा प्रेसिडेंट उदय शंकर”। इस केस में उच्च न्यायालय ने पुनर्वास नीति केस में दी थी। जिसको की नगर निगम फरीदाबाद ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
7 जून 2021 का आदेश इन्हीं दोनों मुकदमों में आया था।
टीम साथी के सहयोगियों की ओर से “रेखा, पिंकी व पुष्पा बनाम भारत सरकार” नाम से पहला केस 22 जुलाई 2021 को सर्वोच्च न्यायालय में डाला गया। जब खोरी तोड़ी जानी शुरु हो चुकी थी। जिसके बाद से ही अदालत का ध्यान लोगों की स्थिति पर आया।
यह केस पूरी खोरी को तोड़ने की प्रक्रिया को चुनौती देने वाला था। जिसके बाद सरकार अपनी मनमर्जी की पुनर्वास नीति लाई। उसको भी हमने “शांति, अनीता, बीना ज्ञान, सरोज पासवान व बब्बो बनाम भारत सरकार व अन्य” नाम से केस दायर करके चुनौती दी।
अगर यह केस नहीं दायर करते तो सरकार अपनी तरह से काम करती।
इस केस के कारण से ईपोर्टल बना और 5011 खोरी निवासी उस पर अपने आवेदन भर पाए। इस आवेदन को भरने का मतलब यह नहीं कि डबुआ ही जाना है। इसका मतलब यह है कि कम से कम सरकारी रिकॉर्ड में यह आया की इतने लोग यहां रहते रहे हैं। क्योंकि सरकार ने खोरी तोड़ने से पहले कोई सर्वे नहीं किया था। ना ही जो लोग उन लोगो ने कोई सर्वे किया जो यहां पहले काम की रहे थे। हमने उनको बोला भी था।
जिनके पास दिल्ली की आईडी थी हमने सभी को बार बार निवेदन किया था कि सब लोग ई पोर्टल पर अपना नाम भरे। मगर कुछ गलतफहमियों के कारण से सब लोगों ने आवेदन नहीं किया। खासकर जिनके पास सिर्फ दिल्ली की आईडी है।
इस केस में 23 नवंबर 2021 को जो आदेश आया उसमें खोरी गांव के आधार कार्ड के साथ कोई भी खोरी गांव का एक ऐड्रेस प्रूफ वाले को खोरी गांव के निवासी के रूप में माना गया है।
इसलिए ही नगर निगम फरीदाबाद अब 1009 के अलावा लोगों की भी सुनवाई करेगा। पहले ये जनसुनवाई 23 मई से होने वाली थी। मगर समय की कमी के कारण हमारे वकीलों ने नगर निगम से बात करके जनसुनवाई अभी आगे टाली है। जल्दी ही वो जनसुनवाई की तारीखे घोषित करेंगे
हमारा काम खत्म नहीं हुआ है। अभी अदालत ने पी एल पी ए कानून यानि जंगल के कानून में बदलाव पर निर्णय देना है। यानी की खोरी गांव पी एल पी ए में आता है या नहीं? यह निर्णय अभी आना बाकी है।
सर्वोच्च न्यायालय में हमने लिख कर दिया था। जिसे 31 मार्च 2022 वाले सुप्रीम कोर्ट के आदेश में भी कहा है की वरिष्ठ वकील संजय पारीख जी ने कहा “अगर यह माननीय न्यायालय इस बात को माने कि पीएलपीए भूमि वास्तव में वन नहीं है, तो हरियाणा सरकार के झूठे और भ्रामक बयान के आधार पर की गई ख़ोरी वासियों की बेदखली वापिस करनी होगी।
और पुनर्स्थापन, स्वस्थानी पुनर्वास और उनके संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन के लिए मुआवजा मिलना चाहिए। व्यक्तियों के कानूनी दावों और तर्कों पर विचार करते हुए इंसीटू पुनर्वास निर्धारण करना होगा।”
अदालत ने कहा कि पी एल पी ए का निर्णय आने के बाद इस पर विचार किया जाएगा।
हजार की लड़ाई जीती है हजारों की लड़ाई बाकी है।
खोरी गांव जिंदाबाद
खोरी गांव के साथ और सहयोग में
टीम साथी