ख़ोरी अपडेट
20-11-2021
जिंदाबाद!
साथियों
सर्वोच्च न्यायालय में हमने जो मुकदमा ख़ोरी गांव को उजाड़ने के सवाल पर 22 जुलाई को दाखिल किया उस कारण से ही नगर निगम फरीदाबाद को एक पुनर्वास नीति लानी पड़ी। 23 जुलाई से पहले सर्वोच्च न्यायालय भी सिर्फ उजाड़ने की ही बात कर रहा था।
हमने शुरू से ही पुनर्वास संबंधी सुझाव दिए थे और जब मालूम पड़ा कि सुझावो पर कोई अमल नहीं हो रहा तो हमको अलग से उस को चुनौती देने के लिए मुकदमा डालना पड़ा।
15 नवंबर को सिर्फ इसी मुद्दे पर अदालत ने फैसला किया है। मगर अभी हमारा मुख्य केस रेखा, पिंकी, पुष्पा बनाम भारत सरकार चालू है।
इसलिए निराशा की कोई भी बात नहीं है। डबुआ कॉलोनी में फ्लैट देने के लिए जो तथाकथित पुनर्वास नीति नगर निगम ने बनाई वह वास्तव में पुनर्वास नीति नहीं है।
अब पुनर्वास शब्द क्या है? अदालत में क्या मुकदमे चले? उनकी स्थिति क्या है? पंजाब भूमि संरक्षण कानून क्या है? हम आगे की लड़ाई कैसे लड़ सकते हैं इन तमाम प्रश्नों पर बातों पर सफाई की जरूरत है जानने की जरूरत है।
ई पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराने का हमारा मकसद रहा है कि ख़ोरी गांव में जितने लोग रहते रहे हैं उनका सरकारी रिकॉर्ड में नाम आ जाए। यह बात हमने बार-बार कही है। क्योंकि सरकार ने तो कोई सर्वे किया नहीं था। या जो पहले लोग काम कर रहे थे, उन्होंने भी ख़ोरी निवासियो का कोई सर्वे नही किया था।
हम सरकार द्वारा ख़ोरी गांव उजाड़ देने की बाद पैदा की गई समस्याओं को लगातार उठा रहे हैं और उठाते रहेंगे।
21 नवंबर, रविवार को 11:00 से 3:00 तक हम खोरी गांव में हनुमान मंदिर वाली जगह पर बैठेंगे। जिस किसी की भी जो समस्या है, वह कैसे लिखें? उनको सहयोग करेंगे। जो नहीं लिख सकते उनके लिए युवा साथी चिठियाँ लिखेंगे।
आइए हम सरकार को बताए कि खोरी गांव मात्र जमीन पर बसी जगह नहीं है वह एक ताकत है जो कभी नही डिगेगी। तो आइए हम चिट्ठी आंदोलन की शुरुआत करते हैं।
हमारा नारा रहेगा –
हिम्मत नहीं हारेंगे, अपना हक लेकर रहेंगे। आज नही तो कल।
खोरी गांव के सहयोग में
टीम साथी