Update 5 October 2021

खोरी अपडेट
05-10-2021

सर्वोच्च न्यायालय में आज की कार्यवाही वन भूमि पर रही।

अगली सुनवाई शुक्रवार 8 अक्टूबर को

सुप्रीम कोर्ट ने आज पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम (पीएलपीए) और वन भूमि से संबंधित दलीलें सुनीं। हरियाणा राज्य की ओर से पेश हुए, नगर निगम फरीदाबाद के वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण भारद्वाज और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को सूचित किया कि एक बार पीएलपीए में संशोधन लागू होने के बाद, पीएलपीए के अंतर्गत आने वाले कुछ क्षेत्र वन भूमि के भीतर नहीं आते हैं।

वरिष्ठ अधिवक्ता एएस नाडकर्णी ने बताया कि एमसी मेहता वाले मामले में अदालत ने पीएलपीए में कोई परिवर्तन करने पर रोक लगाई थी। अदालत ने कहा कि जिन क्षेत्रों को पीएलपीए की धारा 3 के तहत वन कहा गया था, उन्हें वन भूमि माना जाना चाहिए।

इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब दिया कि पीएलपीए में संशोधन किया गया है। हालांकि, सीनियर एडवोकेट कॉलिन गोंजाल्विस ने तर्क दिया कि उनके एक फैसले में, अदालत ने कहा था कि ये क्षेत्र वन भूमि हैं और वे हरियाणा राज्य को एक बाजी मारने की अनुमति नहीं देंगे।

वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख ने अदालत को खोरी गांव के पुनर्वास के लिए पात्रता मानदंड से निपटने में तत्कालता के बारे में याद दिलाया और अदालत से अगली सुनवाई के लिए वन भूमि के मुद्दे के संबंध में अपनी दलीलें देने की अनुमति मांगी। जिसे अदालत ने स्वीकार किया।

वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारीख हमारे दो मुकद्दमों की पैरवी कर रहे हैं।

1– “रेखा, पिंकी व पुष्पा बनाम भारत सरकार”

2– “शांति, अनीता, बीना ज्ञान, सरोज पासवान व बिब्बो बनाम भारत सरकार व अन्य”

फार्म हाउसो को वन भूमि से हटाने के सवाल पर फार्म हाउसो की ओर से बोलने वाले वकील और सरकार के वकील लगभग एक ही भाषा बोल रहे हैं। जिन तर्कों को देकर खोरी गांव के मजलूम लोगों को बर्बाद किया गया। अब उससे उलट बात कह रहे हैं कि अगर पीएलपीए कानून को लागू किया गया तो सरकारी दफ्तर भी नहीं बचेंगे। अब वे जंगल की जमीन को रिहाइशी इलाकों में बदलने की वकालत कर रहे हैं।

दूसरी तरफ फरीदाबाद में जगह-जगह गरीब बस्तियों को गैरकानूनी कब्जे के नाम पर तोड़ा जा रहा है।

हम भी यह देखेंगे कि सर्वोच्च न्यायालय  अब क्या रुख लेती है। इसी अदालत ने जंगल बचाने के नाम पर खोरी गांव के हजारों परिवारों की जिंदगी खत्म कर दी। जिन्होंने  मात्र 140 एकड़ में जमीन खरीद कर अपने छोटे-छोटे आशियाने बनाए थे। 

आज सब से बड़ा मामला तो जिनको उजाड़ा है उनको सम्मान पूर्वक बसाने का है।

खोरी गांव की सहयोग में

टीम साथी