*खोरी अपडेट*
21-9-2021
दोस्तों
ज़िंदाबाद!
पुनर्वास के लिए अगर आप को भी फोन कॉल आता है। उनको राधा स्वामी जाना चाहिए। फार्म भरना चाहिए। ऐसा हमारा मानना है क्योंकि सब कुछ एक बार नहीं मिलता। सर्वोच्च न्यायालय ने पहली बार 20 सितंबर को *”शांति, अनीता, बीना ज्ञान, सरोज पासवान व बिब्बो बनाम भारत सरकार व अन्य”* वाले मुकद्दमे में पुनर्वास नीति के मुद्दे को समझा। पात्रता में बदलाव की आवश्यकता को समझा। तब इस बात से ध्यान हटाने के लिए लोगों को भ्रम में डाल रहे हैं।
जो भी यह कह रहा है कि हमें फोन कॉल का जवाब नहीं देना चाहिए। पुनर्वास के लिए नहीं जाना चाहिए।
*उनके सामने यह प्रश्न है उनको जवाब देना होगा*
— जब जेसीबी चल रही थी, रोज हजारों घर टूट रहे थे। उस समय खोरी नहीं छोड़ेंगे। ऐसा कहने वाले लोग कहां थे? क्या वह जेसीबी के सामने खड़े हुए?ये हमें समझना चाहिए।
— जब नगर निगम फरीदाबाद और हरियाणा सरकार हम लोगों के लिए पुनर्वास नीति बना रही थी तो क्या किसी ने नगर निगम फरीदाबाद के सामने धरना किया? कोई मांग उनके सामने रखी?
— पुनर्वास नीति जो आज है वह तब भी थी। 17,000₹ देने जैसी तमाम शर्तें 14 जुलाई से आज तक नहीं बदली। तब क्यो नही बोले।
— पहले जो लोग राधास्वामी में जिन्होंने फार्म भरे उनके कागजात खुद इकट्ठे कर रहे थे कि कोर्ट में देंगे? अब जो फोन कॉल आ रहा है तो मना कर रहे हैं हमें ही सोचना चाहिए ऐसा क्यों कर रहे हैं?
— जो लोग इतने वर्षों से खोरी गांव में काम कर रहे थे उन्होंने आज तक सभी मकानों का और लोगों का सर्वे क्यों नहीं किया? जबकि अदालत में इतना बड़ा मुकदमा चल रहा था और उजाड़ का खतरा हमेशा था।
अब अदालत में कोशिश चल रही है की मात्र तीन नहीं बल्कि ज्यादा कागजातों के आधार पर पुनर्वास मिले। कोशिश यह भी चल रही है कि पैसा कम से कम देना पड़े? ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग पुनर्वास की हकदार बन सके। जो बच जाएंगे उनके लिए भी कोशिश जारी रहेगी।
*जिसको भी जो सही लगता है वो खोरी गांव के हित में जो भी काम करें। मगर अदालत में और जमीनी लड़ाई में संतुलन नहीं होगा तो नुकसान होगा।*
खोरी गांव के सहयोग में
टीम साथी