
This poem was written by Vimal Bhai after Khori Gaon’s brutal demolition.
यह कविता खोरी गांव के क्रूर विध्वंस के बाद विमल भाई ने लिखी थी।
मी लार्ड
मी लार्ड
हजारों घर तोड़ दिए
खोरी गांव में!
अब कोई सपना जन्म नहीं लेगा।
आंखें बाहर फेंक दी है।
तिरपालों में लिपटी,
बासी रोटी,
टूटी पानी की बोतल लिए,
कुछ आंखें बची है।
मी लार्ड!
जल्दी ही हटा दी जाएंगी.
होटल साफ दिखेगा।
मी लॉर्ड,
आपको नींद अच्छी आई ?
देखिए अब
ग्रीन ग्रीन का सपना
साकार होगा।
खोरी गांव बुलडोजर में
दबे कुचले टूटे बिखरे
किसी सपने की हिम्मत
दोबारा उगने की ना होगी!
मगर मी लार्ड
समतल हुई ईटों के नीचे
एक पर्ची मिली है
लिखा है
हमारे कोई सपना नहीं थे
हम तो बस किसी के
सपनों की तामीर करते थे।
खोरी गांव में हमारी
बस एक छत थी।
मी लार्ड
पर्ची जला दूँ?
– विमल भाई, 08-08-2021
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