नगर निगम के सीनियर आर्किटेक्ट बीएस ढिल्लो ने बताया कि खोरी कॉलोनी के कुल 6100 लोगों ने पुनर्वास के लिए आवेदन किया था। जिनके कागजों की जांच पड़ताल के बाद 1027 लोग पात्र पाए गए हैं। उन्होंने बताया कि करीब 2 हजार आवेदन दो-दो बार किए गए थे।
विनीत त्रिपाठी | नवभारत टाइम्स

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खोरी के विस्थापितों को फ्लैट देने में लगातार देरी हो रही है। इन बेघरों को अब तक न तो फ्लैट मिल सके हैं और न ही मुआवजा मिल पा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर रविवार को एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड सृष्टि अग्निहोत्री फरीदाबाद पहुंचीं और डबुआ कॉलोनी में फ्लैट के मरम्मत का काम देखा। उन्होंने नगर निगम अधिकारियों से कहा कि जल्द से जल्द फ्लैटों की मरम्मत 30 अप्रैल से पहले पूरी कर लें। नगर निगम ने बताया कि अभी तक 64 फ्लैट ही पूरी तरह से तैयार हो सके हैं। साथ ही यह भी दावा किया कि बाकी के 1 हजार फ्लैट भी 30 अप्रैल से पहले तैयार कर दिए जाएंगे। लेकिन, काम की रफ्तार देखते हुए समय पर काम पूरा हो पाने की उम्मीद कम ही लग रही है।
राज्य सरकार ने खोरी कॉलोनी के पात्रों को डबुआ कॉलोनी और बापूनगर में जेएनएनयूआरएम के तहत बनाए गए फ्लैटों में शिफ्ट करने का निर्णय लिया है। सुप्रीम कोर्ट में सरकार की ओर से बार-बार कहा जा रहा है कि पुनर्वास के लिए तेजी से काम किया जा रहा है। लेकिन, प्रभावित लोगों के वकील इससे संतुष्ट नहीं हैं। इसलिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सरकार और याचिकाकर्ता की ओर से वकीलों को मौके पर जाकर मरम्मत कार्य का अवलोकन करने का सुझाव दिया था। जिसके बाद रविवार सुप्रीम कोर्ट की टीम डबुआ कॉलोनी फ्लैट पर पहुंची। वहां पता चला कि केवल 64 फ्लैट ही ठीक किए गए हैं, बाकी में मरम्मत का कार्य चल
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