Update 4 March

खोरी अपडेट (98)

04-03-2022

दोस्तों जिंदाबाद!!

आज की परिस्थिति में कुछ स्पष्ट बातें बताना जरा जरूरी लग रहा है।

  1. टीम साथी की लड़ाई डबुआ कॉलोनी के फ्लैट की लड़ाई नहीं है।
  2. सरकार ने जब पुनर्वास नीति बनाई और डबुआ कॉलोनी के फ्लैट की बात रखी तो किसी ने भी उसका सर्वोच्च अदालत में विरोध नहीं किया। हमारे साथियों की ओर से सर्वोच्च अदालत में पुनर्वास नीति को चुनौती देने वाला मुकदमा डाला गया। डबुआ कॉलोनी की स्थितियों को हमने बार-बार सामने रखा। नतीजा नगर निगम भी सक्रिय रही।
  3. इस कारण हरियाणा सरकार के असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल श्री अरुण भारद्वाज जी और हमारे वरिष्ठ अधिवक्ता श्री संजय पारीख जी अपनी पूरी टीम के साथ 26 फरवरी को डबुआ कॉलोनी की स्थिति देखकर आये। उनकी रिपोर्ट सर्वोच्च न्यायालय में जल्दी ही दाखिल होगी।
  4. 1403 की लिस्ट भी जाहिर इसी मेहनत से हो पाई और लोगों ने शपथ पत्र भरे। बाकी के लिए भी कोशिश है जारी है। हमारे हाथ में कोशिशें हैं मगर परिणाम हमारे हाथ में नहीं।
  5. आर्थिक सहायता के पैसे जल्द ही नगर निगम वाले भेजे इसके लिए भी लगातार प्रयास किया जा रहा हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारीख जी ने जब वे डबुआ कॉलोनी गए तो उन्होंने खासतौर से इस बारे में बात की थी तो आज अमर उजाला में आर्थिक सहायता देने की बात आई है।
  6. अंग्रेजी में चिट्टियां भेजना व किसी भी तरह के डॉक्यूमेंट किसी को भी देने की अभी कोई जरूरत नहीं है। हमारी सारी चिट्टियां लोगों के द्वारा हिंदी में ही ली गई है। आगे भी यही करेंगे।
  7. हमारी कोशिश शुरू से खोरी गांव के लोगों को न्याय दिलाने की है। मगर रास्ता इतना छोटा और आसान नहीं। इसलिए हम तो, जो लोग डबुआ कॉलोनी जाना चाहेंगे उनके लिए यह कोशिश करेंगे कि उनको सही फ्लैट मिले। सही जगह मिले। भले ही सरकार नए फ्लैट बना कर दे।
  8. राजनीतिक लोग कह सकते कि वह खोरी गांव को वही बसायेंगे। मगर हमें यह देखना होगा कि उन्होंने आज तक क्या किया। कोई भी राजनीतिक दल ख़ोरी गांव को तोड़फोड़ से बचा नहीं पाए। अभी मामला सुप्रीम कोर्ट में है इसलिए किसी भ्रम में ना आएं। चुनाव नजदीक हैं।
  9. हम जिम्मेदार लोग हैं इसीलिए हम फालतू में प्रेस नोट या राजनीतिक बयानबाजी नहीं करते। अपितु काम करते हैं और वह सामने दिखाई देता है, हमने हर तोड़फोड़ के बाद सारे मुद्दे न्यायालय के सामने रखे हैं। अब न्यायालय में तारीखे नहीं लग पा रही तो वह हमारे हाथ में नहीं है। फिर भी कोशिशें जारी हैं।
  10. याद रखिये सर्वोच्च न्यायालय में जो भी मुकदमे पहले डाले गए उसमें खोरी गांव के लोगों को झुग्गी निवासी कहा गया और कभी भी इस बात को चुनौती नहीं दी गई कि यह जमीन जंगल में नहीं आती।
  11. हम ख़ोरी गांव के निवासियों की समस्याओं, उनके दर्द उनकी पीड़ा को समाज के सामने लगातार रखने की कोशिश सोशल मीडिया के द्वारा भी कर रहे हैं। हां, हम राशन का लालच देकर धरने प्रदर्शन नही करवा सकते।
  12. टीम साथी हर कदम पर लोगों के साथ भी खड़ी हैं। 14 सितंबर, 2021 से ख़ोरी अपडेट में पूरी सही जानकारी जिम्मेदारी लेकर भेजते हैं।
    इसके पहले यह काम किसी ने नहीं किया।
  13. कुछ समूह अभी भी हर बात पर पैसे इकट्ठा करते हैं। वे लोग कन्हा है जिन्होंने खोरी गांव को बचाने के लिए पैसे इकट्ठा किया? क्योंकि वह कुछ नहीं कर रहे हैं इसलिए अफवाहें फैलाते हैं।
  14. टीम साथी ने कभी कोई पैसा नहीं लिया। जो भी पैसा खर्च होता है। वह दोस्तों के द्वारा दिए चंदे से होता है। वकीलों ने और मदद करने वालों ने कभी कोई पैसा नहीं लिया। वह अपने खर्चों से ही अभी तक सारे काम करते आए हैं।
  15. ध्यान रख करिए हम जो भी काम करते हैं उसको खोरी अपडेट में पहले बताते है।
  16. जब तक नगर निगम सर्वोच्च न्यायालय में अपनी फाइनल लिस्ट नहीं देता तब तक हम नगर निगम को यह चिट्ठी नहीं दे सकते कि हमारा नाम लिस्ट में क्यों नहीं आया?
  17. थोड़ा धीरज रखिए फाइनल लिस्ट आने पर सही पत्र भेजा जाएगा। हम सिर्फ नए-नए मुकदमे डालने का काम नहीं करते। जो सही और ठोस रणनीति वाला काम होता है वही करने की कोशिश होती है।

ख़ोरी गांव के साथ और सहयोग में

टीम साथी