अंसल रिट्रीट: जहां अरावली बचाने को लेकर कोर्ट का कोई भी आदेश लागू नहीं होता!

संबंधित अधिकारियों के नोटिस और आदेश के बावजूद यहां मौजूद फार्म हाउस जस के तस हैं, साथ ही नए निर्माण भी जारी हैं

बसंत कुमार | आयुष तिवारी | न्यूज़लॉन्ड्री

Shambhavi Thakur

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एक तरफ सरकार नियम ला रही थी. सुप्रीम कोर्ट आर्डर जारी कर रहा था वहीं दूसरी तरह यहां अवैध निर्माण जारी था. यहां फार्म हाउस बनाने वाले लोग रसूख वाले है. पर्यावरण संरक्षण अधिनियम से बचने के लिए इन्होने पारंपरिक राजस्व रिकॉर्ड में पहाड़ की बदली हुई स्थिति की ओर ध्यान दिलाया जो 1947 से पहले अविभाजित पंजाब की है.

अरावली अधिसूचना द्वारा संरक्षित भूमि की पांच श्रेणियों में से एक ‘गैर मुमकिन पहाड़’ भी है. गुरुग्राम (तब गुड़गांव) के कुछ क्षेत्रों को 7 मई 1992 तक राजस्व रिकॉर्ड में ‘गैर मुमकिन पहाड़’ माना गया है. रायसीना भी इसी में आता है.

हालांकि, साल 2000 में अंसल प्रॉपर्टीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड और अन्य, बनाम हरियाणा राज्य प्रदूषण बोर्ड के मामले में यह सामने आया कि हरियाणा के राजस्व रिकॉर्ड में रायसीना पहाड़ी की स्थिति ‘गैर मुमकिन पहाड़’ नहीं थी, बल्कि ‘गैर मुमकिन फार्म हाउस’ थी. कथित रूप से बदलाव 1991 में हुआ था.

इस फैसले को फार्म हाउस मालिक पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय लेकर पहुंचे और तर्क दिया कि अरावली अधिसूचना में उनकी संपत्तियों को शामिल नहीं किया गया है. ऐसे में उनकी जमीन पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत नहीं आती है.