अरावली में कैसे गौशालाएं और मंदिर अवैध निर्माण करने का जरिया बने?

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद फरीदाबाद वन विभाग अरावली में बने मैरेज हॉल और फार्म हाउस को तोड़ रहा है, लेकिन गौशालाओं और मंदिरों को छुआ तक नहीं गया

बसंत कुमार | आयुष तिवारी | न्यूज़लॉन्ड्री

Shambhavi Thakur

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अरावली क्षेत्र में अवैध निर्माण करने वालों द्वारा गायों की देखभाल की बात करने वाले गोयल और बैसला अकेले नहीं हैं. हरियाणा के फरीदाबाद जिले का अंखिर और मेवला महाराजपुर गांव गौशाला उद्योग के रूप में उभरा है. जिनमें से ज्यादातर का निर्माण ‘पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम’ (पीएलपीए) के तहत संरक्षित जमीन पर हुआ है. पीएलपीए में ‘‘’गैर-वानिकी’’ गतिविधियों पर रोक है.

अवैध निर्माण की जानकरी होने के बावजूद गौशाला और मंदिर प्रशासन की पहुंच से दूर हैं. इस बीच अरावली में जंगलों का अतिक्रमण जारी है और एक बहुमूल्य पारिस्थितिक संपत्ति को लगातार खत्म किया जा रहा है.

इतना तो साफ हैं कि इन गौशालाओं को चलाने वाले वाले पीएलपीए का उल्लंघन कर रहे हैं. गौशालाओं की आड़ में कई नेता और ताकतवर लोग अरावली को बर्बाद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है और प्रशासन नोटिस पर नोटिस जारी कर सिर्फ खानापूर्ति कर रहा है.