ख़ोरी अपडेट
10-12–2021
जिंदाबाद!
इस अपडेट में दो प्रमुख बातें। पहली सर्वोच्च न्यायालय में क्या हुआ? दूसरा खोरी गांव के लोगों ने मानवाधिकार दिवस मनाया और नारा दिया ख़ोरी गांव बसाएंगे! जंगल को लगाएंगे और मानव अधिकार को बचाएंगे!!
अदालत ने पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम के जिस जमीन पर लागू होता है वह वन भूमि है या नहीं और यह अधिनियम लागू करने की प्रक्रिया क्या रही इस पर चर्चा अभी जारी है। अलग-अलग वकील अपने मुद्दे रख रहे हैं।
इसके पहले अदालत की कार्यवाही शुरू होते ही “रेखा, पिंकी व पुष्पा बनाम भारत सरकार” मुकदमे के वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारीख ने खोरी गांव की समस्याओं को रखने के लिए थोड़ा समय मांगा।
अदालत ने उनको जंगल कानून पर चर्चा के बाद में 10 मिनट का समय दिया। परीख जी ने कहा की 15 नवंबर का आदेश 22 नवम्बर को ही निकल पाया। इसलिए आर्थिक सहायता की मांग का समय बढ़ाना चाहिए। जिसे अदालत ने माना और 22 दिसंबर तक बढ़ाया है।
अदालत ने पुनर्वास संबंधी समस्याओं को तुरंत हल करने के लिए एक महत्वपूर्ण आदेश दिया कि खोरी गांव के पुनर्वास के संबंध में अन्य सभी शिकायतों पर नगर निगम फरीदाबाद के वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण भारद्वाज व वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख के बीच 11 दिसम्बर को पारिख जी के कार्यालय में आमने-सामने चर्चा की जाएगी।
टीम साथी के साथ ख़ोरीगांव वासियों ने 10 दिसंबर मानव अधिकार दिवस पर जून-जुलाई, 2021 में तोड़फोड़ के आदेश के बाद शहीद हुए खोरी गांव निवासियों को श्रद्धांजलि दी।
जो लोग मारे गए उनको याद करते हुए 2 मिनट का मौन रखा गया। शहीदों की श्रद्धांजलि देते हुए मोमबत्ती जलाई गई और शपथ ली गई।
दुनिया भर में मानव अधिकार दिवस मनाया जाता है। मानव जाति के अधिकारों का सरकारों द्वारा जिस मानव अधिकारों का उल्लंघन किया जाता है। उसमे एक तरफ सत्ता है और दूसरी तरफ लोग। जिन्होंने की सरकार को चुना होता है। हमारी खोरी गांव के अंदर में भी यही हुआ। हमारी चुनी सरकार ने हमारे को बेदखल किया। उजाड़ा, बर्बाद किया, तबाह किया, हमारे घर खत्म किये, हमारे सपने, हमारी आशाएं, हमारी आकांक्षाएं, हमारा भविष्य समाप्त करने की कोशिश की।
मगर हमने यह किया यह ठाना है कि हमे सरकार तोड़ेगी मगर हम नहीं टूटेंगे। और हम फिर खड़े होंगे। हम मानवाधिकार की रक्षा की बात करते हैं। हम जंगल की रक्षा की बात करते हैं। हम ही पूछना चाहते है कि कैसे दुनिया भर के अंदर में जाकर जब मानव अधिकार की बात सरकार करती है तो अपने ही देश के हजारों परिवारों को इस तरह उजड़ा जाना क्या मानवाधिकार था?
हम नहीं भूलेंगे शहीदों को, जिन्होंने की कही मकान खाली करते हुए, सीढ़ियों से उतरते हुए, प्राण दे दिए, जिन्होंने फांसी लगाकर जान दे दी, घर टूटते हुए देखकर अपनी जान दे दी। वह तबाही के मंजर हम नहीं भूले हैं। हम कभी नहीं भूलेंगे। हम उन शहीदों की बात को याद रखेंगे। शहीदों की कुर्बानी को याद रखेंगे। जिन्होंने खोरी गांव उजाड़े जाते देख, अपने आप को खत्म कर दिया। हम उन को सच्ची श्रद्धांजलि देंगे। हम ख़ोरी गांव जोकि हमारे दिलों में, हमारी ताकत से बसा है। उसको जरूर बसाकर रहेंगे।
ख़ोरी गांव के हर व्यक्ति को उसका अधिकार दिला कर रहेंगे। हमारे हक की लड़ाई जारी रहेगी।
टीम साथी की ओर से मानवाधिकार दिवस पर यही शपथ लेते हैं और यही आशा करते हैं कि हम सब एक होकर के मानव अधिकार संरक्षण करेंगे। खोरी गांव के लोगों को बर्बाद भटकने नहीं देंगे।
ख़ोरी गांव जिंदाबाद । ख़ोरी गांव के लोग जिंदाबाद। ख़ोरी गांव की मिट्टी जिंदाबाद। ख़ोरी गांव की वह ईंटे जिंदाबाद जिन्होंने घर बनाया और टूट करके भी लोगों का पेट भर रही है।
हम ख़ोरी गांव के लोगों के साथ रहेंगे। अदालत की लड़ाई हो या जमीन की लड़ाई हो।
ख़ोरी गांव बसाएंगे! जंगल को लगाएंगे और मानव अधिकार को बचाएंगे!! जिंदाबाद!
चिठी आंदोलन के साथी कल भी आपके सहयोग के लिए वन्ही सभी जगह उपस्थित रहेंगे।
हिम्मत नहीं हारेंगे, अपना हक लेकर रहेंगे। आज नही तो कल।
खोरी गांव के सहयोग में
टीम साथी