प्रेस विज्ञप्ति 22 नवंबर 2021
ये चिट्ठी ही नहीं, प्रश्न है, जवाब तो देना होगा ही!





ख़ोरी गांव, दिल्ली बॉर्डर के पास टीम साथी ने आज चिट्ठी आंदोलन की शुरुआत की। इस आंदोलन की शुरुआत करने की वजह यह है कि अभी तक नगर निगम फरीदाबाद, हरियाणा ने ख़ोरी गांव को उजाड़ने के बाद लोगों की कोई मूल जरूरतें पूरी नहीं की। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में बार-बार यह बताने की कोशिश की है कि उन्होंने लोगों के लिए सब इंतजाम करके रखें। मगर जमीनी सच्चाई पूरी तरह अलग है। टीम साथी ने राधा स्वामी सत्संग स्थल जाकर पूरी जांच की थी। जहां पर खोरी गांव के लोगों को रहने और खाने की व्यवस्था का दावा नगर निगम फरीदाबाद ने किया था।
“जंगल की जमीन पर खोरी गांव के हजारों हजार परिवार कब्जा करके रह रहे थे” ऐसा इल्जाम लगाकर दसियों हजार से ज्यादा मकानों को तोड़ा गया। 6663 मकानों की गिनती तो नगर निगम फरीदाबाद ने सर्वोच्च न्यायालय में बताई थी। अफसोस की नगर निगम ने मात्र ड्रोन से सर्वे किया था।
अब जब लोगों को पूरी तरह उजाड़ दिया, उनकी जिंदगिया 20 साल पीछे कर धकेल दी गई। तब नगर निगम फरीदाबाद, डबुआ कॉलोनी के 2007 में बने प्रत्येक फ्लैट की ₹ 71,000 द्वारा मरम्मत करके उन्हीं लोगों को बेचने का प्रयास कर रही है जिनके उसने घर तोड़ दिए है। दूसरी तरफ किसी भी उजाड़े गए व्यक्ति को किसी भी तरह की कोई आर्थिक सहायता नही मिली।
हालत इतने बदतर है कि लोगो ने उजाड़े जाने के बाद जिन कमरों में किराया देकर रहना शुरू किया था। अब वे किराया नहीं दे सकते और कहीं कहीं जाकर के अत्यंत बुरी दशा में रह रहे हैं। सर पर छत नही और खाने को दाना नहीं।
इस परिस्थिति को व्यक्तिगत रूप से सरकार के सामने लाया जाए। सर्वोच्च न्यायालय ने भी कहा था कि लोग अपनी समस्याएं नगर निगम को लिखें। इसीलिए यह चिट्ठी आंदोलन शुरू किया गया। आज 140 चिट्ठीयां 3 घंटे में टीम साथी के युवा कार्यकर्ताओं की मदद से लोगों ने लिखाई गई। यह चिट्ठी लिखना ही नहीं था। इससे लोगों की अलग-अलग तरह की परेशानी निकल कर आई। सब परिस्थितियां और स्पष्ट हुई। लोगों के बहुत प्रश्न थे। शंकाएं थी। जिन पर भी खुल कर बातचीत हुई।
यह सभी चिट्ठीयां तुरंत ही ईमेल के द्वारा आयुक्त नगर निगम फरीदाबाद को भेज दी गई है। टीम साथी ने इस बात की जिम्मेदारी ली है कि हम यह क्रम जारी रखेंगे।
नगर निगम फरीदाबाद, हरियाणा सरकार खोरी गांव के इस तरह उजाड़े जाने के प्रश्न से बच नहीं सकती। पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम, 1900 को अब वे बदलने की बात यदि करते हैं तो खोरी का प्रश्न उनके सामने जवाब मांग रहा है। हम सवाल करना बंद नहीं करेंगे। सरकार को जवाब देना होगा। खोरी गांव के लोगों को उनका हक देना ही होगा।
टीम साथी
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