ख़ोरी अपडेट
15-11-2021
जिंदाबाद!
साथियों
सर्वोच्च न्यायालय में ख़ोरी गांव से उजड़ो के लिए बनाई गई सरकारी पुनर्वास नीति को WP(C) 1023/2021 “शांति देवी व अन्य बनाम भारत सरकार व अन्य’ वाले मुकदमे में चुनौती दी थी। जिसका निर्णय आज अदालत ने दे दिया।
हमारा “रेखा, पिंकी व पुष्पा बनाम भारत सरकार व अन्य” वाला मुकदमा जो ख़ोरी गांव को उजाड़े जाने की पूरी प्रक्रिया पर प्रश्न लगाता है, समस्याओं को उठाता है, वह अभी चालू है।
“पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम 1900” पर आज सुनवाई शुरू हुई इन सब मुकद्दमों की अगली तारीख 26 नवंबर 2021 है।
“शांति देवी व अन्य बनाम भारत सरकार’ वाले मुकदमे का प्रतिफल काफी महत्वपूर्ण रहा। सरकार ने बिना सर्वे किये हजारों मकानों को धराशाई कर दिया था। सरकार ने कोशिश की थी की मकान में गिराने के बाद मामला खत्म हो जाएगा। मगर आज ई पोर्टल पर लगभग 5,000 लोगों का रजिस्ट्रेशन हुआ। यह स्थापित हुआ कि इतने परिवार तो यहां रहते थे। यह संख्या और भी बढ़ सकती थी।
मगर बहुत सारे भ्रम ईपोर्टल को लेकर फैलाए गए। हमने बार-बार इस बात को स्पष्ट किया है कि हम डबुआ कॉलोनी में बसाए जाने के पक्ष में नहीं है। हमारी लड़ाई लंबी है। हमें फिर भी उम्मीद है कि अभी भी लोग “पुरानी नई खोरी का झगड़ा” या “दिल्ली वाले हैं, दिल्ली की तरफ वाले हैं, दिल्ली की आईडी हैं” “हमारा दिल्ली में केस चल रहा है” आदि आदि।
इस तरह के फैलाये जा रहे भ्रमो और बिना कागजात दिखाये पैसा लेकर किये जा रहे केसों की असलियत को भी समझेंगे।
हम पूरे कागजातों के साथ सबको को यह बताने के लिए तैयार हैं की मुकदमे क्या रहे और उनके प्रतिफल क्या है? हम सच्चे लोगों के साथ सच्ची व लंबी लड़ाई लड़ेंगे।
अदालती आदेश जब आएगा तब वह भी आप को भेजेंगे। फिलहाल मौखिक रूप से जो आदेश लिखवाया गया उससे यह मालूम पड़ता है कि अदालत ने छह बिंदुओं के तहत आदेश दिया है:—
पात्रता मानदंड: अदालत ने दोनों पक्षों के तर्कों को संक्षेप में प्रस्तुत किया, और निर्णय लिया कि प्रधान मंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के तहत पात्रता मानदंड लागू होना चाहिए।
( पात्रता का थे जिनको पुनर्वास के लिए हकदार माना गया)
इसलिए, पुनर्वास के लिए आवेदन करने वाले लोग, पहचान साबित करने के उद्देश्य से, PMAY के तहत “मतदाता पहचान पत्र / कोई अन्य विशिष्ट पहचान संख्या या लाभार्थी के मूल जिले के राजस्व प्राधिकरण से घर के स्वामित्व का प्रमाण पत्र” पर भरोसा कर सकते हैं।
हालाँकि, अदालत ने कहा कि, इसके अतिरिक्त, नगर निगम, फरीदाबाद को “अन्य प्रासंगिक तथ्य” स्थापित करने चाहिए, तभी कोई व्यक्ति पात्र बन पाएगा।
फ्लैटों की लागत: नगर निगम, फरीदाबाद, (उस जमीन के बाजार मूल्य को मान रहा है जिस पर डबुआ कॉलोनी और बापू नगर के घर बने हैं), ने कहा कि जमीन का औसत मूल्य 6,00,000 रुपये से अधिक था और वर्तमान मूल्य निर्माण की राशि 4,00,000 रुपये से अधिक थी।
इस प्रकार, पुनर्वास योजना के तहत फ्लैटों के लिए भुगतान की जाने वाली 3,77,500 रुपये की राशि को अदालत ने न्यायसंगत माना है।
लागत उपयोगिता सेवाएं: आवंटन की शर्तों में खंड जी (9) (बी) में लिखी उपयोगिता सेवाओं की लागत के संबंध में बिजली, पानी, सीवरेज के शुल्क का भुगतान नहीं करने पर आवंटन को वापिस लेने की अनुमति को अदालत ने समाप्त नहीं किया है। मगर यह भी कहा है कि किसी बदले की भावना से ये नही किया जाना चाहिए।
इसके अलावा, अदालत किसी भी अन्य मामले पर कोई राय व्यक्त नहीं करेगी, और किसी भी कठिनाई का सामना करने वाले आवेदक उचित कदम उठा सकते हैं।
पुनर्वास के लिए आवेदन दाखिल करने की अंतिम तिथि: अदालत ने कहा कि न्यायालय द्वारा आगे कोई समय विस्तार नहीं दिया जाएगा। हालांकि नगर निगम, फरीदाबाद चाहे तो समय बढ़ा सकते हैं।
सोलेशियम राशि: कोर्ट ने सोलेशियम वाली 2,000 ₹ की राशि व उस अवधि को नहीं बढ़ाया जिसके लिए सोलेशियम देय था। हालांकि, कोई भी पात्र व्यक्ति जिसे सोलेशियम राशि नहीं मिली है, वह इसके भुगतान के लिए एमसीएफ को आवेदन दे सकता है।
केवल रहने के लिए उपयोग करें: कोर्ट ने कहा कि फ्लैट का आवंटन केवल रहने के लिए होगा, और फ्लैटों का व्यावसायिक उपयोग नहीं किया जा सकता है।
फिलहाल तो अदालत ने इतना ही किया है
अदालती कार्रवाई तो चालू रहेगी। और दूसरी प्रक्रियायें भी चलेंगी।
हम व्यक्ति विशेष का नाम या व्यक्ति विशेष को प्रचारित करने के लिए नहीं बल्कि तथ्यों को रखने के लिए आपको ख़ोरी अपडेट भेजते हैं।
हिम्मत नहीं हारेंगे, अपना हक लेकर रहेंगे। आज नही तो कल।
खोरी गांव के सहयोग में
टीम साथी