Update 12 November 2021

ख़ोरी अपडेट

12-11-2021

जिंदाबाद!

साथियों

सर्वोच्च न्यायालय के कमरा नंबर 3 में माननीय न्यायाधीश खानविलकर जी तथा माननीय न्यायधीश माहेश्वरी जी के सामने आज शांति देवी बनाम भारत सरकार वाले मुकदमे में वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारीख ने नगर निगम फरीदाबाद की पुनर्वास नीति मे कमियां उसमें बदलाव आदि पर विस्तार से अपनी बात रखी। अदालत  ने दोपहर 2:00 बजे से 3.45 तक मुकदमा सुना।

पारीख जी ने मुख्यता इन बिंदुओं को रखा।

  • पुनर्वास के लिए पात्र कौन हो सकता है? इसके लिए उन्होंने सुझाव दिया कि खोरी गांव के लोगों को 4 तरह से माना जा सकता है। जिन पर यह नीति लागू होनी चाहिए।
    1.  जिनके पास में अभी की नीति अनुसार कम से कम एक कागज हो।
    2.  जिनके पास खोरी गांव का आधार कार्ड हो।
    3.  जिनके पास आधार कार्ड, उनकी पहचान बताने के लिए हो और कोई भी अन्य कागज जिसमें लोगों द्वारा उनका खुद का शपथ पत्र जो बताता हो कि वे खोरी गांव के रहने वाले हैं।
    4. जिनके पास आधार कार्ड नहीं है। मगर उनको आधार कार्ड व वोटर कार्ड के अलावा अन्य भी कोई सबूत जिसमें स्वयं घोषणा शामिल हो।

संजय पारीख जी ने अदालत को बताया कि

  • इन लोगों को कभी भी राज्य सरकारी एजेंसियों ने नहीं बताया कि वह किस जमीन पर बैठे हैं। 
  • माननीय अदालत ने जंगल को साफ करने का आदेश दिया मगर सरकार ने पुनर्वास भी करना था।
  • जबकि उन्होंने मात्र ड्रोन से सर्वे किया।
  • अगर लोगों का एक उचित सर्वे किया गया होता तो आज परिस्थितियां ज्यादा ठीक होती।
  • नगर निगम की पुनर्वास योजना प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ही बनी है। जिसमें पहले से 202 परिवारों को बायोमेट्रिक पहचान के आधार पर आवंटित किया गया था। तो खोरी गांव के लोगों पर कठोर शर्तें लागू नहीं होनी चाहिए।
  •  फ्लैट की लागत बहुत ज्यादा है। 2006 में बने हुए फ्लैट बहुत बुरी स्थिति में है। जिसमें दरवाजे, खिड़की व पानी भी नहीं है। बल्कि नालियां भी साफ नहीं, जानवर अंदर रहते हैं।
  • मदद के तौर पर जो 2,000 ₹ देने की बात है वो ज्यादा होना चाहिए।
  • ई पोर्टल पर फार्म भरने के लिए 15 नवंबर की तारीख आगे बढ़नी चाहिए।

सरीना सरकार बनाम भारत सरकार के मुकदमे में वकील अनुप्रदा ने भी बात रखी। आधार कार्ड की मान्यता व लोगों को फ्लैट में आजीविका का आधार होना चाहिए। अदालत ने उनको कहा कि हम सिर्फ केंद्र और राज्य की पुनर्वास नीति पर ही ध्यान देंगे।

नगर निगम के वरिष्ठ वकील अरुण भारद्वाज ने कहा कि इन फ्लैटों पर कब्जा करने की भीड़ बढ़ रही है। तिथि बढ़ाने के अनुरोध प्राप्त हुए हैं। आवेदनों की संख्या बढ़ गई है। अदालत ने उनसे कहा कि आपसे संपर्क करना अलग बात है। हम इस मुद्दे से निपट रहे हैं, तो हमें काम करना चाहिए।

अरुण भारद्वाज जी ने पहले भी कहा था और इस बार भी कहने की कोशिश की कि अदालत में पुनर्वास के मुद्दों को ना लाकर कि सीधा निगम को ही भेजना चाहिए। यह बात हमें सबको मालूम है कि अगर नगर निगम लोगों की बात सुनता तो हम अदालत क्यों जाते? खोरी गांव में जिस तरह 10 व 11 नवंबर को तोड़फोड़ के दौरान नगर निगम के अधिकारी लोगों के साथ अभद्र भाषा व पुलिस द्वारा मारपीट करवा रहे हैं वह भी शोचनीय है। अरुण जी को सभी मुद्दों पर चिट्टियां गई हैं उन्होंने यदि सही तरह से संज्ञान लिया होता तो हमें पुनः अदालत की शरण में नहीं जाना पड़ता। 

अदालत ने पुनर्वास नीति के विषय पर अगली सुनवाई 15 नवंबर को तय की है। अदालत ने कहा कि हम 15 नवंबर को पुनर्वास नीति के मुद्दे पर की गई बहस पर पहले आदेश देंगे।

आपको पुनः बता दें कि 15 नवंबर को पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम पर अदालत में बहस होनी है इसी कानून के तहत ख़ोरी गांव उजाड़ा गया है। क्योकि हरियाणा सरकार अब अरावली पर बने बड़े फार्म हाउसों को और बड़ी बिल्डिंगों को नहीं तोड़ना चाहती।

15 नवम्बर के आदेश के बाद ही आधार कार्ड का, पात्रता का, फ्लैट की लागत का तथा पुनर्वास के अन्य मुद्दे तय होंगे। इसलिए अधूरी जानकारी के आधार पर भेजे जा रहे संदेशों पर कोई निर्णय न लें और ना ही परेशान हो। 

आज की तरह ही पोर्टल पर फार्म भरने का काम कल भी चालू रहेगा। ई पोर्टल पर फार्म भरवाने का हमारा मकसद है कि यह सिद्ध करना कि लोग ख़ोरी गांव में लोग रहते थे इस बात सरकारी रिकॉर्ड में उनका नाम आ जाये।

हिम्मत नहीं हारेंगे, अपना हक लेकर रहेंगे।

 खोरी गांव के सहयोग में

टीम साथी