पुनर्वास करना हरियाणा सरकार की नैतिक जिम्मेदारी
6 Nov. 2021
घर-घर दीप जलाएंगे – खोरी को बसाएंगे, खोरी गांव जिंदाबाद, संघर्ष करेंगे – जीतेंगे।



इन नारों और संकल्प के साथ टीम साथी ने खोरी गांव के दिल्ली वाली बॉर्डर पर दीपावली के दीए जलाएं। जिनके घर तोड़ दिए गए वे परिवार जन भी साथ आए।
बॉर्डर पर दिए जलाने का एक खास महत्व था। हम चाहते हैं कि सरकारी समझे की जिनके पास दिल्ली के कागजात है वे भी ख़ोरी गांव के ही निवासी रहे हैं। चूंकि हरियाणा सरकार ने खोरी गांव के अधिकांश निवासियों को दस्तावेज और बिजली उपलब्ध नहीं कराई, इसलिए मजबूरी में उन्होंने दिल्ली के पते के साथ अपने दस्तावेज बनवाए।

सरकार की ख़ोरी गांव के लोगों को पुनर्वास देने की कोई मंशा नजर नहीं आती है। वास्तव में अभी जिस पुनर्वास नीति पर काम चालू है वह फरीदाबाद की डबुआ कॉलोनी के पुराने फ्लैटों को लोगों के पैसे से ठीक करके लोगों को ही बेचने की सरकारी कोशिश है।
7 जून, 2021 को खोरी गांव तोड़ने के आदेश के बाद अपना घर का सामान ओने पौने दाम में बेच कर लोग कहीं कहीं किराए पर रहने की कोशिश कर रहे हैं।
खोरी गांव के आस पास के इलाकों के चाहे वह दिल्ली में हो या फरीदाबाद में हो, किराए बहुत बढ़ गए है। लोग किराया नहीं दे पाए हैं। नगर निगम ने यह कहा था की पात्रता तय होने पर हमें ₹2000 महीना दिया जाएगा। जो कि बहुत ही कम है। ₹ 2000 में कहीं पर भी कोई कमरा नहीं मिल सकता। जिन की पात्रता भी तय हुई उनको भी पुराना, एक भी पैसा नहीं मिल पाया है।
पात्रता तय करने और ईपोर्टल, जो कि नगर निगम ने जारी किया उसकी प्रक्रिया बहुत ही धीमी है और पारदर्शी भी नहीं है। उसमें अभी बहुत सारी कमियां हैं।
राधा स्वामी सत्संग में भोजन और रहने की व्यवस्था पहले भी बहुत अपूर्ण थी। अभी बिल्कुल बंद कर दी गई।
डबुआ कॉलोनी के सालों पुराने और फिलहाल बिना किसी सुविधा वाले फ्लैटों में भी जाना मुश्किल है। सफाई का काम चालू हुआ है मगर रहने लायक बनने में काफी समय लगना है।
लोगो को मजबूरी में कहीं पर तारपोलिन डालकर रहना पड़ रहा है। इससे स्वास्थ्य को खतरा है। बहुत लोग बीमार भी पड़े हैं। पुलिस का अपमान भी झेलना पड़ता है। लोग कब्जेदारे नही बल्कि बहुत बुरी परिस्थिति के शिकार हुए हैं।
इस संदर्भ में दीपावली से पहले सैकड़ों लोगों ने मुख्यमंत्री हरियाणा, उपायुक्त नगर निगम अन्य विभागों को ज्ञापन भी भेजा मगर अभी तक किसी बात पर कोई जवाब नहीं मिला है। नगर निगम और वन विभाग ने खोरी गांव को पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम (पीएलपीए) की जमीन कहकर ध्वस्त किया था।
अब हरियाणा सरकार ने
अदालत में कहा है कि पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम लागू करना मुश्किल है। प्रश्न यह है कि आज तक हरियाणा सरकार ने ख़ोरी गांव के हजारों परिवारों को उजाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अब बड़े लोगों पर बात आई तो सरकार कानून बदलने की बात कर रही है।
इस पूरे अन्याय को ख़ोरी गांव के लोग झेल रहे हैं। उनकी कमाई से खरीदे हुए जमीन पर बनाए गए मकान सरकार ने तोड़े उनके घर का सामान तितर-बितर हुआ और उसके बाद बची कुची तर्पॉलिन के नीचे के घर भी तोड़ दिए गए यह सरकार द्वारा अपने ही लोगों को गरीब नहीं बल्कि साधनहीन किया गया है।
इतने अन्याय के बावजूद लोगों का हौसला कम नहीं हुआ। यद्यपि अभी पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम में बदलाव का मामला 15 नवंबर को सर्वोच्च न्यायालय में तय होगा। किन्तु खोरी गांव के लोगों का पुनर्वास करना हरियाणा सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है जिससे वह बच नहीं सकती।
खोरी गांव के लोगों के साथ, टीम साथी ख़ोरी गांव से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक कार्यरत है। हमारी उम्मीद है कि अब आने वाले त्यौहार लोग वापस अपने घरों में मनाएंगे।

टीम साथी
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