*सर्वोच्च न्यायालय का आदेश 3-08-2021*
*(यह अदालती आदेश का सरल रूपांतरण है। किसी भी विवाद में कृपया मूल आदेश को ही मान्य किया जाए)*
सर्वोच्च न्यायालय में 3 अगस्त को खोरी गांव से संबंधित मुकदमों पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश में मुख्य रूप से कहा की :-
— पिछले आदेश (आदेशों) के संदर्भ में,नगर निगम, फरीदाबाद को, वन भूमि पर खड़ी अनधिकृत संरचनाओं को 23.08.2021 से पहले हटाने का काम पूरा करने की उम्मीद है।
— इसलिए, दिनांक 25.08.2021 को इस मामले को अधिसूचित किया गया।
— उस तिथि से पहले, आयुक्त स्थिति रिपोर्ट जमा करें। स्थिति रिपोर्ट में आयुक्त द्वारा लोगो द्वारा दिए गए आवेदनों के बारे में की गई कार्यवाही का भी संक्षेप में उल्लेख किया जा सकता है।
— निगम के अधिवक्ता ने अवगत कराया कि पुनर्वास नीति का मसौदा तैयार किया गया है। जिसे राज्य सरकार को स्वीकृति के लिए भेजा गया है। राज्य द्वारा इस पर तेजी से काम किया जाए और अंतिम निर्णय सुनवाई की अगली तारीख से पहले लिया जाए।
— इसके अलावा, स्थानीय लोगों की शिकायत दर्ज करने के लिए अदालत के पिछले आदेशो के संदर्भ में उनके लिए आयुक्त, ऑनलाइन पत्राचार के लिए ईमेल पता और विचार करें। राधा स्वामी परिसर में एक बैक-अप कार्यालय स्थापित करे।
25 अगस्त, 2021 को 2.00 बजे अपराह्न इस बेंच के सामने सुनवाई होगी।
15 फार्म हाउसों की ओर से दायर अपील में बताया गया कि उन्होंने निगम को करोड़ों रुपए दिए हैं और उनको विभिन्न स्वीकृतियां भी मिली हुई हैं। इसके बावजूद वन विभाग ने उनको नोटिस दिया है।अदालत ने कहा कि आप कल 12:00 बजे तक इस संदर्भ में अपना प्रतिवेदन सम्बन्धित विभाग को दीजिए। अगर आपकी संपत्ति वन विभाग वन भूमि पर नहीं है तो आपको सर्वोच्च न्यायालय का संरक्षण मिलेगा अन्यथा वन भूमि से सभी तरह की कब्जे हटाने के आदेश का पालन किया ही जायेगा।उनकी सुनवाई 6 अगस्त,2021 को होगी।
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आदेश के अलावा केस से संबंधित तथ्य —
रेखा, पिंकी व पुष्पा बनाम सरकारों वाले मुकदमे में एक अतिरिक्त कागजात भी कोर्ट में जमा किया गया। जिसमें बताया गया कि- लोगों द्वारा दिए गए 26 जुलाई के पत्र पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है।-पुलिस का रवैया बहुत ही अपमानजनक और क्रूर है। बीमारियां बड़ी है खास करके त्वचा रोग भी बड़ा है।-28 जुलाई को दिल्ली की सीमा में आने वाले मकानों को तोड़ा गया है अभी तक दिल्ली हरियाणा की सीमा निर्धारित नहीं हो पाई है।- इन सबकी जांच के लिए एक स्वतंत्र समिति होनी चाहिए।-सरकारी पुनर्वास नीति का मसौदा सही नहीं है। उसमें पुनर्वास के लिए पात्रता का दायरा बढ़ाना होगा। जिसमें आधार कार्ड, परिवार पहचान पत्र, जन्म प्रमाण पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र, कहीं का भी वोटर आई कार्ड आदि को पुनर्वास का आधार माना जाए।-लोगों के साथ हुए ऐतिहासिक अन्याय के मद्देनजर मकान की कीमत आधे से भी कम करनी चाहिये। इसमें वैसे भी केंद्र सरकार का पैसा लगा हुआ है।
—–अदालत में नगर निगम फरीदाबाद व हरियाणा वन विभाग द्वारा दो अलग-अलग शपथ पत्र दाखिल किए गए। जिसमें उन्होंने फिर कहा कि राधास्वामी में सभी सुविधाएं मौजूद हैं। पुनर्वास नीति का मसौदा भी दिया गया जिसमें पहले से घोषित नीति में कोई खास परिवर्तन नहीं है। वरिष्ठ वकील श्री संजय पारीख ने यह बताया कि राधास्वामी भी वन भूमि पर स्थित है। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण को दी गई जिस रिपोर्ट में खोरी गांव को वन भूमि पर बताया गया है उसी रिपोर्ट के पेज नंबर 303 में 62 नंबर एंट्री में राधा स्वामी सत्संग को भी वन भूमि पर बताया गया है।
*अनुवाद व रिपोर्टिंग* विमल भाई