Update 26 March

खोरी अपडेट (170)

जिन्दाबाद साथियों!

अरावली फॉरेस्ट में सबसे ज्यादा अवैध कब्जा अनंगपुर, मेवला महाराजपुर व अनखीर में हैं। यहां पर फार्म हाउस, बैंक्विट हॉल के अलावा गोशाला, धार्मिक संस्थानों के स्थल, शैक्षणिक संस्थान, रिहायशी सोसाइटियां भी शामिल हैं। इन्हें हटाने की कार्रवाई 3 महीने के अंदर करनी थी, लेकिन अभी तक नहीं हुई है।

हाल ही के दिनों में अखबारों के माध्यम से जो भी खबरे आई हैं वह भी आपको भेज रहे हैं।

वन विभाग के अधिकारियों की सुस्ती से अरावली में लगातार अवैध फार्म हाउस बन रहे हैं। ताजा मामला सूरजकुंड एरिया का है। हरियाणा के पूर्व कैबिनेट मंत्री महिंद्र प्रताप के बेटे विवेक प्रताप और अनंगपुर निवासी सुंदर पर वन विभाग ने कराया मामला दर्ज l (जिसका खबर अलग से भेज रहे हैं)

वन विभाग ने एक साल पहले सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अरावली वन क्षेत्र से अवैध फार्म हाउस व बैंक्विट हॉल तोड़ने के नाम पर केवल खानापूर्ति कर रहा हैं। टीम महज कुछ दीवार ढहा कर वापस लौट जाती हैं । आज भी तोड़े गए फार्म हाउस पहले जैसे ही दिखाई दे रहे हैं।

अरावली में हुए अवैध कब्जों को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 23 जुलाई 2021 को ही आदेश दिए थे, सिविल अपील संख्या 1094, 2013। इसके बाद वन विभाग ने बताया था कि 5 हजार हेक्टेयर फॉरेस्ट के अंतर्गत आती है। इसमें से 500 हेक्टेयर में अवैध कब्जे हैं। इनमें सबसे ज्यादा अवैध कब्जे फार्म हाउस के रूप में है। कार्रवाई से पहले ड्रोन सर्वे भी कराया गया, लेकिन आज तक ड्रोन सर्वे की रिपोर्ट वन विभाग के पास नहीं आई।

आज भी 120 से ज्यादा अवैध निर्माण अरावली में बने हैं।

जिसकी लिस्ट हमने आपको पिछले अपडेट में भेजा था ।

हाल ही के दिनों की खबरों की मानें तो सरकार पीएलपीए 1900 बिल को सांसोधन में लाकर इन अवैध निर्माण को फॉरेस्ट के दायरे से बाहर करने की तैयारी कर रही है।

जिसका अंदाजा इस खबर से भी लगा सकते : केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से कहा कि अरावली को भू माफिया से बचाने की जरूरत है। पीएलपीए एक्ट के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश नहीं की जाए, इससे छेड़छाड़ करने पर भू-माफिया को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि राजनीतिज्ञों और अधिकारियों ने अरावली में अपने फार्म हाउस बना रखे हैं और अब उन्हें बचाने की कवायद पीएलपीए में छेड़छाड़ करके की जा सकती है।

फिर सवाल यह हैं की

जब सरकार गैर मुमकिन पहाड़ मान रही है व इन लोगो को बचाना चाहती हैं तो खोरी में बसे लोगों को क्यों नहीं बचाया गया। इन्हें हटाने के आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे।

जबकि चार दिवारी तोड़े गए फॉर्म हॉउस आज फिर से बन चुके हैं वैसे ही उनमें शादियाँ पार्टियाँ हो रही हैं जबकि ख़ोरी में पार्क बनाने के नाम पर 28 करोड़ का टेंडर भी जारी कर चुके हैं यह भेदभाव कर के न्याय व्यवस्था का मजाक हरियाणा सरकार व वन विभाग कर रहा हैं।

ख़ोरी गांव में लाखो मेहनतकश परिवोरो को उजाड़ने के बाद अमीरों के लिए नई योजना बनाई जा रही हैं ।

ख़ोरी के साथ हुए भेदभावपूर्ण सवालों को बार बार उठाते रहेंगे

टीम साथी