Update 03 August

खोरी अपडेट (147)

03-08-2022

जिंदाबाद दोस्तो!

इस खोरी अपडेट में हम पीएलपीए यानी पंजाब भूमि संरक्षण कानून संशोधन के बारे में सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में जो कहा उसको बताएंगे ।

21 जुलाई 2022 का संबंधित आदेश इस अपडेट के साथ हम भेज रहे हैं।

पीएलपीए के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में मामला इस बारे में था कि ‘क्या पंजाब भूमि संरक्षण कानून, 1900 की धारा 4 के तहत आने वाली भूमि वन संरक्षण अधिनियम, 1980 के भीतर ‘वन भूमि’ है या नहीं ? 21 जुलाई,2022 को अदालत ने अपना आदेश सुनाया कि पीएलपीए की धारा 4 के तहत आने वाली भूमि वन भूमि है।

तो इसका क्या मतलब है?

  1. चूकि खोरी गांव धारा 4 में आता है अदालत ने कहा कि यह वन भूमि पर था।
  2. अदालत ने यह भी घोषित किया कि पीएलपीए की धारा 4 में आने वाले अन्य निर्माण भी वन भूमि पर थे और उन्हें ध्वस्त किया जाना था।
  3. अदालत ने कहा कि अन्य पीएलपीए धारा 4 के अंदर आने वाले व्यक्तियों को सुनवाई का मौका दिया जाएगा और कार्यवाही 3 महीने के भीतर पूरी की जानी चाहिए। उसके बाद, राज्य सरकार को कार्यवाही की रिपोर्ट जमा करनी होगी।
  4. वन अधिनियम के अनुसार, एक निजी भूमि मालिक को अपनी भूमि का मालिकाना अधिकार है, लेकिन वह उस भूमि का गैर-वन गतिविधि के लिए उपयोग नहीं कर सकता है।
  5. 25 अक्टूबर, 1980 से केंद्र सरकार की अनुमति के बिना, किसी अन्य गतिविधि के लिए भूमि का उपयोग नहीं किया जा सकता है। ।
  6. लेकिन अदालत ने यह भी कहा कि जब भूमि धारा 4 के तहत है, और यदि केंद्र सरकार मंजूरी देती है, तो राज्य और अन्य अधिकारी गैर-वन उपयोग के लिए अनुमति दे सकते हैं।

यह खतरनाक तरह की छूट है।

हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा कि अगले 3 महीनों में क्या होता है।
खोरी गांव के अलावा फार्महाउस, होटल और अन्य भवन पीएलपीए की धारा 4 में आते हैं। क्या हरियाणा सरकार कोर्ट के आदेश को सुन कर फार्महाउस और होटलों को गिरा देती है?

टीम साथी की ओर से सर्वोच्च न्यायालय मे रेखा, पिंकी व पुष्पा बनाम भारत सरकार वाला मुकदमा अभी चल रहा है,

खोरी गाँव के साथ और सहयोग मे
टीम साथी