खोरी अपडेट
08-10-2021
साथियों जिंदाबाद!
सर्वोच्च न्यायालय में आज माननीय न्यायाधीश खानविलकर जी और माननीय न्यायाधीश माहेश्वरी जी के सामने वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारीख ने पुनर्वास नीति में परिवर्तन के मुद्दे को रखा।
उन्होंने खोरी गांव के लोगों की ओर से दायर “शांति, अनीता, बीना ज्ञान, सरोज पासवान व बिब्बो बनाम भारत सरकार व अन्य” मुकदमे के लिए पैरवी की। यह याचिका खास तौर पर नगर निगम की पुनर्वास नीति को चुनौती देने के लिए डाली गई है।
उन्होंने अदालत को बताया कि आधार कार्ड को खोरी गांव से उजाड़े गए लोगो के पुनर्वास के लिए एक सबूत माना जाये।
नगर निगम के वकील अरुण भारद्वाज ने बताया कि चंडीगढ़ हाई कोर्ट में जो मुकदमे चल रहे थे उसमे आधार कार्ड की बात नहीं उठाई गई थी। यह नई बात है। बैंच ने कहा कि फिलहाल हम अस्थाई रूप में इस को मानने के लिए कह रहे हैं। बाकी आप बाद में अंतिम पात्रता निर्धारण के समय निर्णय करेंगे।
वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारीख ने बताया कि हमने ईपोर्टल के बारे में भी सुझाव दिए हैं। उनको मानने में अरुण भारद्वाज जी ने कुछ असमर्थता जताई।
बेंच ने नगर निगम के वकील को पूछा कि सूचना के अधिकार में आपको जवाब देना पड़ता? तो आप वेबसाइट को अपडेट कीजिए, बस। फिलहाल आधार कार्ड और परिवार पहचान पत्र को आप मानिये। अंतिम पात्रता के समय बाकी देखा जाएगा। हम नगर निगम को ई पोर्टल को अपग्रेड करने के लिए कहते हैं।
श्री संजय पारिख ने अदालत को बताया कि क्योंकि पात्रता निर्धारण में समय लग रहा है। अभी मुकदमा चालू है। इसलिए 15 नवंबर की तारीख को आगे बढ़ाना चाहिए। न्यायाधीशों ने कहा कि हम इस पर विचार करेंगे।
याचिका पर अगली सुनवाई 22 अक्टूबर को होगी।
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हम वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारीख, वकील सृष्टि अग्निहोत्री, वकील तृप्ति पोद्दार व उनके सहयोगीयों के बहुत आभारी हैं कि उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय को जो सिर्फ और सिर्फ पहले जंगल से लोगों को हटाने की बात कर रहा था अब पुनर्वास के मसले पर सरकार को जिम्मेदार बना रहा है।
ई पोर्टल पर फार्म भरने के लिए टीम साथी के कार्यकर्ता जगह-जगह उपलब्ध है। आप बिल्कुल भी परेशान ना हो। बिना किसी खर्च के आपका इपोर्टल पर फार्म जमा होगा।
इस बारे में दूसरा खोरी अपडेट आपको जल्दी भेजते हैं।
खोरी गांव की सहयोग में
टीम साथी